सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेलवे को मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (CST) पर फूड स्टॉल के प्रबंधन में खामियों के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है.
भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) की व्यवस्थता में कमी का जिक्र करते हुए जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की रिपोर्ट से पता चलता है कि इसके डिवीजनल ऑफिसर्स की तरफ से गंभीर लापरवाही हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेलवे प्रशासन सीवीसी रिपोर्ट का परीक्षण करके इसे एक महीने के अंदर कार्रवाई के लिए इसे सक्षम प्राधिकारियों के समक्ष रखे और तीन महीने में सुधारात्मक कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को कहा, ‘रेलवे की ओर से सीवीसी की रिपोर्ट को लागू किया जाना आवश्यक है.’ कोर्ट ने कहा कि सीवीसी ने आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की मंशा का संकेत नहीं दिया है, बल्कि अधिकारियों की ओर से लापरवाही का ही संकेत दिया है.
बेंच ने खामियों को दूर करने और आईआरसीटीसी की प्रशासनिक कार्यप्रणाली और सेवाओं में सुधार के लिए रेलवे द्वारा तत्काल सुधारात्मक उपाय करने की जरूरत को रेखांकित किया. पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी.
आरटीआई कार्यकर्ता अजय बी बोस ने आरोप लगाया था कि मध्य रेलवे के सात अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की और करोड़ों रुपये की हेराफेरी की, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने दावा किया कि स्टॉल की बिक्री कीमत कम आंकी गई, जितनी राशि प्राप्त हुई, उससे कम राशि रेलवे को जमा की गई, वस्तुओं के लिए अधिक कीमत वसूल की गई और बिना वैध लाइसेंस के उन्हें काम करने की अनुमति दी गई जो रेलवे खानपान नीति का उल्लंघन है. स्पेशल जज ने सीबीआई को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था.
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