Friday, November 8, 2024
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मोरबी हादसा: रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF, SDRF के अलावा नौसेना व वायुसेना ने भी संभाला मोर्चा


Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में अब भी कई लोग लापता हैं. उनकी तलाश के लिए बड़े पैमाने पर रेस्क्यू वर्क चल रहा है. यह हादसा कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रेस्क्यू के लिए न केवल पुलिस और लोकल गोताखोर बल्कि, एनडीआरएफ और भारतीय नौसेना के जवान भी लगे हुए हैं. अभी तक रेस्क्यू को लेकर क्या कुछ हुआ आइए जानते हैं.

कौन-कौन लगा है रेस्क्यू में

गुजरात सीओओ के मुताबिक, भारतीय नौसेना के 50 जवान के साथ NDRF के 3 दस्ते, भारतीय वायुसेना के 30 जवानों के साथ बचाव और राहत अभियान के लिए सेना के 2 कॉलम और फायर ब्रिगेड की 7 टीमें राजकोट, जामनगर, दीव और सुरेंद्रनगर से उन्नत उपकरणों के साथ मोरबी में आकर मोर्चा संभाले हुई है. कई लोगों को इन लोगों ने रेस्क्यू किया भी है. इनके अलावा SDRF के 3 और राज्य रिजर्व पुलिस के 2 दस्ते भी बचाव और राहत कार्यों के लिए मोरबी पहुंच रहे हैं. इलाज के लिए राजकोट सिविल अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है. इस टीम ने अभी तक 170 लोगों को रेस्क्यू भी किया है.

एनडीआरएफ ने भेजी 2 और टीमें

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एनडीआरएफ के डीआईजी मोहसेन शाहिदी ने बताया कि एनडीआरएफ की दो और टीमों को वडोदरा हवाई अड्डे से राजकोट हवाई अड्डे के लिए रवाना किया जा रहा है. एनडीआरएफ टीम के साथ वायुसेना का विमान राहत कार्यों के लिए रवाना हो गया है. इसके अलावा जामनगर और आसपास के अन्य स्थानों में बचाव कार्यों के लिए हेलीकाप्टरों को तैयार रखा गया है.

वायुसेना के गरुड़ कमांडो भी रेस्क्यू ऑपरेशन में

रेस्क्यू ऑपरेशन कितने बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि इसमें वायुसेना सिर्फ इनवॉल्व ही नहीं हुई है, बल्कि उसके सबसे खूंखार कमांडो को इस सर्च ऑपरेशन में उतारा गया है. आर्मी के पैरा कमांडो व नेवी के मार्कोस कमांडो की तरह गरुण कमांडो भी बेहद खूंखार हैं. इस फोर्स का गठन वर्ष 2004 में किया गया. इनकी ट्रेनिंग ऐसी होती है कि ये बिना कुछ खाए हफ्ते तक संघर्ष कर सकते हैं. मौजूदा समय में गरुड़ कमांडो की सबसे ज्‍यादा तैनाती जम्मू और कश्मीर में होती है.

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