Wednesday, May 21, 2025
HomeIndiaमॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस पर PM मोदी होंगे मुख्य अतिथि, जानें इसे...

मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस पर PM मोदी होंगे मुख्य अतिथि, जानें इसे क्यों कहते हैं ‘मिनी इंडिया’

PM Modi Mauritius Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने मॉरीशस का दौरा करेंगे. वे 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम के लिए मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है. इस घोषणा के बाद नवीन रामगुलाम ने संसद में इसकी ऑफिसियल जानकारी दी. भारत की केंद्र सरकार पिछले कई सालों से मॉरीशस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने के प्रयास कर रही है. बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी पहले मॉरीशस का दौरा कर चुके हैं.

मॉरीशस हिंद महासागर में स्थित एक छोटा द्वीपीय देश है. ये अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट से दूर मेडागास्कर के पूर्व में स्थित है. मेडागास्कर से मॉरीशस की दूरी लगभग 800 किलोमीटर है और ये मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है. इस देश की राजधानी पोर्ट लुइस है. मॉरीशस को 12 मार्च 1968 को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली थी. यहां की कुल आबादी लगभग 12 लाख है जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं. जानकारी के अनुसार यहां सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के अनुयायी रहते हैं।

मॉरीशस में भारतीय भाषाओं का प्रभाव

मॉरीशस की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है जबकि फ्रेंच और क्रियोल भाषाएं भी व्यापक रूप से यहां पर बोली जाती हैं. इसके अलावा भोजपुरी और हिंदी सहित कई भारतीय भाषाएं भी यहां बोली जाती हैं. भारत से यहां आए अधिकांश प्रवासी मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के थे जो भोजपुरी भाषा में बात करते थे. इसी वजह से भोजपुरी यहां की लोकप्रिय भाषा बन गई. 2011 की जनगणना के अनुसार मॉरीशस की कुल आबादी में से 5.3 प्रतिशत लोग भोजपुरी बोलते हैं. इसके अलावा, उर्दू, तमिल और तेलुगु भी यहां प्रचलित भाषाओं में शामिल हैं.

मॉरीशस को क्यों कहा जाता है ‘मिनी भारत’?

मॉरीशस को ‘मिनी भारत’ कहे जाने की मुख्य वजह यहां भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या में उपस्थिति है. आजादी से पहले बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को मजदूरी के लिए यहां लाया गया था जिन्हें ‘गिरमिटिया’ मजदूर कहा जाता था. भाषा, बोली और परंपराओं के अलावा यहां भारतीय परिधान और भारतीय संस्कृति का भी प्रभाव देखने को मिलता है.

मॉरीशस के गांवों में आज भी महिलाएं साड़ी पहनकर पारंपरिक गीत जैसे झूमर, सोहर, कजरी और रतवाई गाती नजर आती हैं. भारतीय संस्कारों को जीवित रखने के लिए हर घर के बाहर तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने की परंपरा भी यहां देखने को मिलती है.

गिरमिटिया मजदूरों का इतिहास

ब्रिटिश और फ्रेंच शासन के दौरान 1834 से 1900 तक लगभग 5 लाख भारतीय मजदूरों को मॉरीशस लाया गया था जिनमें से दो-तिहाई मजदूर यहीं बस गए. सबसे पहले 2 नवंबर 1834 को 36 भारतीय मजदूर मॉरीशस पहुंचे थे. वे ‘एटलस’ नामक जहाज से आए थे. इस दिन को आज भी मॉरीशस में ‘अप्रवासी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. पोर्ट लुइस में स्थित ‘अप्रवासी घाट’ वही स्थान है जहां भारतीय मजदूर पहली बार मॉरीशस की जमीन पर उतरे थे.

पीएम मोदी का ऐतिहासिक दौरा

मॉरीशस की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर अमेरिकी साहित्यकार मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था “ईश्वर ने पहले मॉरीशस बनाया और फिर उसमें से स्वर्ग की रचना की.” मॉरीशस की हरी-भरी घाटियां, ऊंची पहाड़ियां, समुद्र की लहरों से टकराती चट्टानें और सफेद रेत वाले समुद्र तट इसे स्वर्ग जैसा बना देते हैं.  पीएम मोदी का ये दौरा भारत और मॉरीशस के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा. ये न केवल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.

ये भी पढ़ें: Weather Forecast: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के बाद अब गर्मी के संकेत, दिल्ली-NCR में बदला मौसम, बूंदाबांदी से बढ़ी ठंडक, जानिए कहां कैसा रहेगा मौसम

Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments