कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी के खिलाफ देशभर की अलग-अलग अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गई हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी जबलपुर सिख संगत और गुरु सिंह सभा इंदौर ने याचिका दाखिल की है. सोमवार (2 सितंबर, 2024) को इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई और एडवोकेट नरेंद्र पाल सिंह रूपरा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें पेश कीं. एडवोकेट रूपरा भी सिख समुदाय से हैं और जब वह कोर्ट में दलीलें पेश कर रहे थे तो बेहद भावुक हो गए.
उन्होंने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में हिंदू देवी-देवताओं की प्रशंसा की गई है, उसमें 2,500 बार राम शब्द लिखा गया है. भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि सालों से हिंदू और सिख साथ हैं और कोई उनमें अंतर नहीं बता सकता, लेकिन फिल्म के ट्रेलर में सिखों को बहुत निर्दयी दिखाया गया है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि फिल्म में सिखों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है. इस याचिका पर हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा सुनवाई कर रहे थे. एडवोकेट नरेंद्र सिंह रूपरा ने मांग की कि फिल्म को सर्टिफाई नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ है इसलिए इसे लोगों को दिखाने के लिए सर्टिफाई न किया जाए. उन्होंने कहा, ‘इमरजेंसी फिल्म का ट्रेलर मैंने देखा है, जिसमें अमृतधारी सिखों को दिखाया गया है. अमृतधारी सिख को कोई भी आसानी से पहचान सकता है. वे कृपाण और गात्रा पहनते हैं. उनकी लंबी दाढ़ी होती है. उन्हें ट्रेलर में बंदूक पकड़े दिखाया गया है. वे लोगों को बस से उतारकर गोली मार रहे हैं. जिन लोगों को गोली मारी गई, उन्होंने पगड़ी नहीं पहनी है, जिसका मतलब वे सिख नहीं हैं. ट्रेलर में एक डायलॉग भी है- त्वानु चाहे दे वोट, सान्नु चाही दा खालिस्तान.’
एडवोकेट नरेंद्र सिंह रूपरा ने कोर्ट में कहा, ‘मीलॉर्ड, हमारे छोटे बच्चे हैं, वे पगड़ी पहनकर स्कूल जाते हैं. वहां उन्हें दूसरे बच्चे और लोग खालिस्तानी कहकर चिढ़ाते हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सेना में शामिल होना हर सिख गर्व की बात समझता है. उन्होंने कहा, ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब में 1430 पेज हैं, जिनमें 2,500 बार राम शब्द लिखा गया है. श्री गुरु ग्रंथ साहिब में लिखा है- सभै घट राम बोलै, राम बोलै. उसमें हिंदू देवी-देवताओं की प्रशंसा और महिमा मंडन किया गया है.’ एडवोकेट रूपरा ने यह भी कहा कि सिख और हिंदू और इनका इतिहास एक-दूसरे से इतने मिले हुए हैं कोई इनमें अंतर नहीं बता सकता.
एडवोकेट रूपरा ने फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने की अपील करते हुए कहा कि इसका ट्रेलर बहुत पॉपुलर हो चुका है और यह रोंगटे खड़े करने वाला है, जिसमें सिखों को बेहद निर्दयी दिखाया जा रहा है. उनकी अपील पर जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि दूसरी कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है और मुझे लगता है कि सेंसर बोर्ड भी इस पर कुछ कर रहा होगा. उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कुछ सीन्स को एडिट या डिलीट किया जाना हो इसलिए शायद 6 सितंबर को फिल्म रिलीज न की जाए. हमें नहीं पता कि क्या पॉजिशन है और हमने फिल्म भी नहीं देखी है. कई बार ट्रेलर फिल्म की असली कहानी नहीं बताते हैं.’ वैसे 6 सितंबर को फिल्म की रिलीज पर रोक लग चुकी है क्योंकि देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं.