Arun Goel: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार (9 मार्च) को अपने पद से इस्तीफा देकर हलचल बढ़ा दी. उनका इस्तीफा ऐसे समय पर आया, जब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होना है. अरुण गोयल का कार्यकाल 2027 तक था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. कांग्रेस ने अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर सवाल उठाया है. पार्टी का कहना है कि चुनाव आयुक्त के इस्तीफे पर सरकार को जवाब देना चाहिए.
वहीं, अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि आखिर अरुण गोयल ने किस वजह से इस्तीफा दिया है.अरुण गोयल 2022 में चुनाव आयोग के सदस्य बने थे. उनसे पहले फरवरी में अनूप पांडे रिटायर हुए थे. इस तरह से अब अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यों वाले निर्वाचन आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बचे हैं. सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि अरुण गोयल का इस्तीफा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है.
लोकतंत्र पर हो जाएगा तानाशाही का कब्जा: खरगे
अरुण गोयल के इस्तीफे पर चिंता जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘भारत में अब सिर्फ एक चुनाव आयुक्त हैं, जबकि कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव का ऐलान होना है. क्यों?’ उन्होंने कहा, ‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि अगर संस्थानों की बर्बादी नहीं रुकी तो देश के लोकतंत्र पर तानाशाही का कब्जा हो जाएगा.’ खरगे ने आगे कहा, ‘मोदी सरकार को इन सवालों का जवाब देना चाहिए और उचित स्पष्टीकरण देना चाहिए.’
क्या अरुण गोयल बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले हैं?, जयराम ने पूछा सवाल
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने अरुण गोयल के इस्तीफे पर सवाल उठाया है. उन्होंने पूछा कि क्या अरुण गोयल और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बीच मतभेद था. क्या अरुण गोयल बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले हैं. उन्होंने कहा कि अरुण गोयल को लेकर मेरे मन में तीन सवाल आ रहे हैं. पीएम का काम कांग्रेस को बदनाम करना है. यह लोकतंत्र पर हमला है. वीवीपैट को लेकर चुनाव आयोग 8 महीने से हमलोग से मिलने से इनकार कर रहा है.
कौन हैं अरुण गोयल?
चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा देने वाले अरुण गोयल एक पूर्व आईएसएस अधिकारी हैं. उनका जन्म 7 दिसंबर, 1962 को पंजाब के पटियाला में हुआ. पंजाब कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अरुण गोयल ने दुनिया की कुछ सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटीज से पढ़ाई की है. उन्होंने ब्रिटेन की क्रैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट इकनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है. वह अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से भी शिक्षा हासिल कर चुके हैं.
अरुण गोयल को जिस वक्त नवंबर 2022 में चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया गया था, उस वक्त भी उन्हें लेकर काफी सवाल उठे थे. इसकी वजह ये थी कि 21 नवंबर को चुनाव आयुक्त बनाए जाने से तीन दिन पहले यानी 18 नवंबर, 2022 को उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले लिया था. भारी उद्योग विभाग में सचिव के तौर पर काम करते हुए उन्होंने वीआरएस लिया था. सचिव के तौर पर प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव योजना की शुरुआत करने का श्रेय भी उनको जाता है.
गोयल लुधियाना और बठिंडा जिलों में निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में भी काम कर चुके हैं. वह पंजाब के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं. इस दौरान चंडीगढ़ समेत कई शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनका इस्तीफा इसलिए हैरानी भरा लग रहा है, क्योंकि वह राजीव कुमार के रिटायरमेंट के बाद फरवरी 2025 में मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते थे. वह मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की रेस में सबसे आगे थे.
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