Shivpal Yadav: पूरे देश इस वक्त भगवान राम की भक्ति में डूबा हुआ है तो दूसरी ओर राजनीति भी तेज है. दरअसल, राजनीति का इसलिए जिक्र किया जा रहा है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव ने अयोध्या पर दिए एक बयान से मानो सेल्फ गोल कर लिया है. शिवपाल ने अयोध्या गोलीकांड का जिन्न निकाल दिया है. 1990 में मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे, तब उनकी सरकार में अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलीं.
जहां एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है, तो दूसरी ओर शिवपाल यादव ने शहर के पुराने जख्मों को कुरेद दिया है. उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाए जाने को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर 1990 में अदालत के आदेश का पालन करने और संविधान की रक्षा करने के लिए तत्कालीन सपा सरकार के राज में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चली थीं. उनके बयान से बवाल बढ़ गया है.
शिवपाल यादव ने क्या बयान दिया है?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सपा नेता ने कहा, ‘देखिए, संविधान की रक्षा की गई थी. अदालत के आदेश का पालन हुआ था. बीजेपी के लोग तो केवल झूठ बोलते हैं. बताइए अदालत के आदेश का पालन हुआ था या नहीं? संविधान की रक्षा हुई थी. वहां पर जब अदालत का स्थगन आदेश था, यथा स्थिति बनाए रखनी थी तो वहां पर जो विवादित ढांचा था, जो बाबरी मस्जिद थी, उसे जब इन लोगों ने तोड़ा था तो वहां के प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि वह अदालत के आदेश के अनुरूप यथास्थिति बनाए रखे.’
आडवाणी को रोका गया, अयोध्या पहुंचे रामभक्त
जिस गोलीकांड को शिवपाल सिंह यादव ने सही ठहराया है, वो घटना साल 1990 की है. आरोप हैं कि कारसेवा के लिए पहुंचे राम भक्तों पर तब की पुलिस की तरफ से गोलियां चलीं. इसी गोलीकांड में कोलकाता के कोठारी बंधुओं की भी मौत हुई थी, जिन्होंने जन्मभूमि पर भगवा झंडा लहराया था. अयोध्या की रहने वाली ओम भारती उस गोलीकांड की गवाह हैं, जिनके घर में राम भक्त पुलिस के डर से छिपे थे.
अयोध्या गोलीकांड से पहले 25 सितंबर 1990 को बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी रथयात्रा लेकर सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकले थे. पूरे देश में राम लहर की मानो आंधी चल रही थी. मगर अयोध्या पहुंचने से पहले ही 23 अक्टूबर को बिहार में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या के लिए निकल चुके थे. रास्ते में पुलिस ने कई जगह कारसेवकों को रोक दिया था, लेकिन बड़ी संख्या में रामभक्त छिपते-छिपाते अयोध्या पहुंच गए थे.
पुलिस पर लगा गोलियां चलाने का आरोप
कोलकाता के रहने वाले राम और शरद कोठारी दो भाई थे, जो 22 अक्टूबर को अयोध्या के लिए निकले थे. अयोध्या में 30 अक्टूबर को विवादित जगह पहुंचने वाले शरद पहले शख्स थे. पुलिस ने दोनों भाई को खदेड़ तो दिया लेकिन उस दिन उन्होंने अयोध्या में विवादित जगह पर झंडा फहरा दिया था. आरोप लगते हैं कि पहली बार कारसेवकों पर इसी दिन गोलियां चलीं. उस दिन पुलिस की गोली से 5 लोगों की मौत के भी आरोप हैं.
इसके बाद आई 2 नवंबर की तारीख, राम मंदिर निर्माण आंदोलन के लिए सांकेतिक कार सेवा का एलान हुआ था. सुबह सुबह दिगंबर अखाड़े की तरफ से जुलूस हनुमानगढ़ी की ओर बढ़ रहा था. कहा जाता है कि पुलिस ने हालात काबू करने के लिए फायरिंग की. बीजेपी की तरफ से इन दिनों सोशल मीडिया पर अयोध्या गोलीकांड का वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें राम भक्तों पर हुई कार्रवाई का जिक्र है.
गोलीकांड में मारे गए थे 16 लोगों
2 नवंबर 1990 को मुलायम यूपी के सीएम थे और कारसेवा के लिए पहुंचे रामभक्तों पर गोली चलीं, जिसमें आधिकारिक तौर पर 16 लोगों की मौत हुई थी. अब मुलायम के छोटे भाई शिवपाल यादव ने 34 साल पहले के उस जख्म को जिंदा कर दिया है. आने वाले दिनों में लोकसभा के चुनाव होने हैं, वैसे भी लोकसभा में समाजवादी पार्टी के गिने चुने सांसद हैं, राम लहर के बीच शिवपाल के दिये गए इस बयान का नुकसान भी हो सकता है.
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