Monday, June 23, 2025
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PAK नहीं होता न्यूक्लियर पावर? हिमंत बोले- ‘1980 के दशक में भारतीय सेना की एयरस्ट्राइक को…’

Assam CM on Pakistan Nuclear Power: भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान अक्सर भारत को परमाणु हमले की गीदड़भभकी देता रहता है. इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पाकिस्तान के परमाणु शक्ति बनने का कारण कांग्रेस सरकार को बताते हुए इसे ऐतिहासिक चूक घोषित कर दिया.

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे लेकर एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ऐतिहासिक चूक के कारण भारत ने पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनने दिया. उन्होंने कहा, “आज जब दुनिया परमाणु खतरों को समय रहते खत्म करने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है, 1980 के दशक में भारत की निष्क्रियता एक दर्दनाक सबक बन चुकी है, जिसमें क्या हो सकता था और क्या नहीं हुआ.”

भारतीय सेना ने दिया था पूरा समर्थन- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने छूटी हुई ऐतिहासिक घड़ियों के बार में कहा, “रॉ को पुख्ता जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान का ‘काहूटा प्लांट’ यूरेनियम संवर्धन (enrichment) का गढ़ बन चुका है. भारतीय सेना ने कांग्रेस की केंद्र सरकार को पूरी तरह से समर्थन दिया था कि काहूटा पर प्रीएम्टिव स्ट्राइक (एयरस्ट्राइक) की जाए.”

उन्होंने कहा, “खुफिया जानकारी से लेकर संयुक्त हवाई हमले की योजना तक इजराइल ने मदद की पेशकश की थी. जामनगर एयरबेस को लॉन्चपैड के रूप में चिन्हित भी किया गया था. भारत के पास इस खतरे को समय रहते खत्म करने के लिए सामर्थ्य और राजनीतिक सहमति दोनों थी. लेकिन अंतिम समय में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के डर से इंदिरा गांधी पीछे हट गईं. वहीं, राजीव गांधी ने योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया और वैश्विक दबाव के आगे कूटनीति को प्राथमिकता दी. जिसके नतीजे आज भी गूंजते हैं.”

राजीव गांधी ने किया समझौता, फिर पाकिस्तान ने सबको चौंकाया- मुख्यमंत्री

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “1988 में राजीव गांधी ने बेनजीर भुट्टो के साथ परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले न करने का समझौता किया. इसके बाद 1998 में पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया. जिसका नतीजा यह हुआ कि भारत को महंगे परमाणु हथियारों की दौड़ में उतरना पड़ा.”

उन्होंने कहा, “कारगिल युद्ध, आतंकवाद और सीमापार हमले सब पाकिस्तान के परमाणु सुरक्षा कवच के साए में हुए. वहीं, आज भी पाकिस्तान परमाणु हथियारों की धमकी देकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर नैतिक वैधता पाने का खेल खेलता है.”

उन्होंने आगे कहा, “हैरानी की बात तो यह है कि 2024 में इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी सीपीआई (एम) ने अपने घोषणापत्र में भारत की परमाणु नीति को खत्म करने की बात कही!”

नेतृत्व से मिली सीख- हिमंता बिस्वा सरमा

उन्होंने कहा, “जहां मजबूत नेतृत्व दूरदर्शिता और साहस की मांग करता है, कांग्रेस ने संकोच और देरी दिखाई. एक ऐतिहासिक अवसर, जिससे भारत की दीर्घकालीन सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती थी, उसे कुछ दिनों की अंतरराष्ट्रीय सहमति के लिए कुर्बान कर दिया गया. और इसकी रणनीतिक कीमत भारत और पूरा क्षेत्र आज तक चुका रहा है.”

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