Assam News: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार (31 अक्टूबर) को कहा कि उनकी सरकार राज्य में दो और जगहों से ‘सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) एक्ट, 1958’ (AFSPA) को वापस लेने पर विचार कर रही है. बराक घाटी में कछार के लखीमपुर उप-संभाग के साथ तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराईदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दिमा हसाओ जिलों के लिए ‘डिस्टर्ब एरिया’ का टैग लगा था.
ये एक अक्टूबर से छह महीने के लिए लगाया गया था. सरकार ने पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में स्थिति में काफी सुधार होने की बात कहते हुए वहां से इस विवादास्पद कानून को वापस ले लिया था.
क्या है AFSPA का नियम?
आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) सुरक्षा बलों का अभियान चलाने और बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है और साथ ही यदि उनकी गोली से किसी की मौत हो जाती है तो उन्हें गिरफ्तारी और मुकदमे से छूट प्रदान करता है. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा, ‘‘असम और पूर्वोत्तर में शांति लौट आई है.
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आज राज्य के 65 फीसदी एरिया से AFSPA वापस ले लिया गया है. भविष्य में, हम कछार के लखीमपुर और पूरे कार्बी आंगलोंग जिले से इसे वापस लेने के बारे में विचार कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि दो और इलाकों के AFSPA के दायरे से बाहर होने के बाद ऊपरी असम के केवल छह जिले कानून के दायरे में रहेंगे.
उग्रवादियों को मिलेगा वित्तीय सहयोग
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को उनके पुनर्वास के लिए वित्तीय सहयोग देने के लिहाज से आयोजित एक कार्यक्रम में सरमा ने कहा कि त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर के अलग-अलग इलाकों से भी AFSPA के तहत ‘डिस्टर्ब एरिया’ का दर्जा हटा दिया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘असम में बहुत खून-खराबा हुआ है. हमारा कर्तव्य इसे रोकना और राज्य का विकास करना है. हम राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर देने के लिए बड़ी योजना शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं.’’
पूर्व उग्रवादियों को डिमांड ड्राफ्ट
मुख्यमंत्री ने 318 पूर्व उग्रवादियों को डिमांड ड्राफ्ट (DD) सौंपे जिन्होंने पिछले दिनों राज्य के पुलिस महानिदेशक और असम पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हथियार छोड़ दिए थे. यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (IE), यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (UGPO), तिवा लिबरेशन आर्मी (TLA), कुकी लिबरेशन फ्रंट (KLF), दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) और कूकी नेशनल लिबरेशन आर्मी (KNLA) के आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये की राशि दी गयी.
AI के हेड से की अपील
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘हमारी सरकार के पिछले डेढ़ साल में असम में उल्फा (AI) को छोड़कर सभी उग्रवादी संगठन मुख्यधारा में लौट आए हैं. मैं उल्फा (AI) के प्रमुख परेश बरुआ से एक बार फिर अपील करता हूं कि शांति से समाज को आगे ले जाएं, खून-खराबा करके नहीं.’’ उन्होंने कहा कि पिछले साल मई में उनके पदभार संभालने के बाद अनेक संगठनों के 6,780 से अधिक कैडर आत्मसमर्पण कर चुके हैं.
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